>जामुन पेड़ से लाभ - जाने...> >ग्रीस्म ऋतु में वरदान है - जामुन> >जामुन का वृक्ष भारत में लगभग सभी स्थानो पर आसानी से मिल जाता है ।यह एक सदाबहार वृक्ष है।जिसका फल बैगंनी रंग का होता है। भारत में जामुन को विभिन्न नामो से जाना जाता है। जैसें जामुन, राजमन, काला जामुन, जमाली एंव ब्लैकबेरी आदि नामों से जाना जाता है। यह अम्लीय व कसैला होता है,जो स्वाद में मीठा होता है। जमुन का वैज्ञानिक नाम - सीजीजियम होताहै। इसकी तासीर ठंण्डी होती है।
>जामुन का पेड़, और फल अयुर्वेद के अनुसार औषधिय रुप से वरदान है। जो विभिन्न रोगों में कारगर सिद्धि हुआ है। >अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं। जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है। पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है। स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है। >एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा। जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। साथ ही इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद भी करता हैं। और मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से बहुत आराम मिलता है।और तो और जामुन की दातून भी औषधिय रुप से बहुत लाभ कारी होती है।>जामुन के औषधिय गुण :-
>जामुन अग्निप्रदीपक, पाचक, स्तंभक रोकने वाला तथा वर्षा ऋतु में अनेक रोगों में उपयोगी होता है | जामुन में लोहतत्व पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है | जामुन यकृत, तिल्ली और रक्त की अशुद्धि को दूर करता है | साथ ही पीलिया रोग में जामुन का सेवन लाभकारी होता है। जामुन मधुमेह, अतिसार, पथरी, पेचिस, संग्रहणी, यकृत के रोगों और रक्तजन्य विकारों को दूर करता है | मधुमेही के रोगीयों के लिए जामुन के बीज का चूर्ण सर्वोत्तम माना गया है l जामुन के ऊपर नमक, जीरा पावडर और लवणभास्कर चूर्ण लगा के जामुन खाये तो वायु विकार को नष्ट करता है। >औषधिय लाभ :- >1. मधुमेह रोगी को नित्य जामुन खाना चाहिए | अच्छे पक्के जामुन सुखाकर बारीक कूटकर बनाया गया चूर्ण प्रतिदिन एक- एक चम्मच सुबह–शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में आराम मिलता है | >2. प्रदर रोगोमें कुछ दिनों तक वृक्ष की छाल के काढ़े में शहद अर्थात मधु मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से स्त्रीयों में प्रदर (ल्यूकोरिया) रोग में आराम मिलता है। >3. जामुन के बीज को पानी में घिसकर मुँह पर लगाने पर मुहाँसे में आराम मिलता है | >4. जामुन की गुठलीयों को पीसकर शहद में मिलाकर गोलियाँ बना ले| २-२ गोली नित्य तीन - चार बार चुसने से भी आराम मिलता है। >5. जामुन की गुठली का चार-पाच ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से स्वप्नदोष की समस्या से निजात मिलता है | >6. जामुन के पेड़ की पत्तियाँ ज्यादा न पकी हुई, न ज्यादा मुलायम लेकर पीस ले उसमे जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर उसकी गोलियाँ बना ले एक- एक गोली सुबह–शाम लेने से कैसे भी तेज दस्त हो बंद हो जाते है | >7. जामुन पाचक होता है,जो भूख बढा़ता है,साथ ही वर्षा ऋतु में उदर रोगों को ठीक रखने में मदद करता है | >नोट -- >जामुन खाने के बाद आप को दूध ,हल्दी ,आचार , एंव पानी का सेवन नही करना चाहिऐं, क्योकि यह पेट मे गैस,दर्द ,अपच व जलन हो सकती है। साथ ही जामुन का सेवन खाली पेट भी नही करना चाहिऐं >और अधिक जानकारी के लिऐं अयुर्वेदाचार्य डा0 आर.राव से निः शुल्क परामर्श ले। >धन्यवाद... 7457903786Adv