ओमिक्रान संक्रमण से बचाव के लिऐं अयुवेद अपनाऐं ।

ओमिक्रान संक्रमण सें बचाव के लिऐं अयुर्वेद पद्धति द्बारा प्रतिरोधक क्षमता बढा़ऐं - वर्तमान में ओमिक्रान जैसें संक्रमणों को देखकर हम सभी को जागरुक रहने की आवश्यकता है । क्योकि यह संक्रमण वातावरण में मौसम बदलाव के कारण पहले तो सर्दी-खांसी,जुखाम में आपकें शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करेगा और शरीर में विभिन्न् प्रकार के वाईरस के कारण संक्रमण इस प्रकार से प्रभावित होकर तेज बुखार,गले व फेफडों को भी संक्रमित कर देता है । इसलिऐं शरीर की रोग प्रितरोधक क्षमता यदि मजबूत है।तो करोना और नए वैरियंट ओमिक्रोन संक्रमण से बचाव किया जा सकता है ।यह बात पूरे विश्व के और देश के वैज्ञानिक और डॉक्टर्स रोज बता रहे है। इसी विषय पर डा0 आर0 राव में ने कही कि ...यदि हम अयुर्वेद पद्धति द्बारा निर्मित औषधि एंव काढा का उपयोग चिकित्सकों व वैधौ की देख रेख में सेवन करते है,तो कही हद तक हम इस महामारी से अपनो व अपने देश को संक्रमण से सुरक्षित रख सकते है। डा0 राव ने शरीर की प्रितरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अयुर्वेदिक जड़ी बूटी ,जड़ी बूटी काढ़े, अमूल्य जड़ी बूटी और मसाला हमारे हर किचन में मौजूद है।इसके प्रयोग से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ हमारे शरीर में रोज- रोज होने वाली सर्दी,जुकाम , खांसी ,नजला से भी बचाती है। जो कि यह प्राकृतिक है , इसका प्रयोग बच्चें और युवा , वृद्ध लोग करे सकते है।इसके लिए अयुर्वेदिक काढ़े आवलेह,पाक के रूप में प्रयोग से प्राकृतिक रूप से संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। पिछले वर्ष संक्रमण के दौरान हमारे भारत देश के साथ ही विदेशो में खूब भारतीय जड़ी बूटियों का प्रयोग आम जनमानस ने संक्रमण काल और आज भी प्रयोग जारी है।

आज हम वही जड़ी बूटी का प्रयोग करे जो संक्रमण के साथ अन्य रोग सर्दी, जुकाम, खांसी, नजला व फेफडे़ के संक्रमण में उपयोगी हो। जैसे जड़ी बूटी गिलोय का तना,तुलसी पत्र, मुलेठी, अडूसा कालीमिर्च,पित पापड़, नागर मोथ, कुटकी, चिरायता,सोंठ अर्जुन,दालचीनी हल्दी,अश्वगंधा आदि का काढ़ा सही अनुपात और सही मात्रा में बनाकर पानी में पका कर ताज़ा ले। यह काढ़े में जिंक,मैग्नीशियम,फाइबर से युक्त होता है। जो हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता तो बढा़ता ही है साथ में संक्रमण से बचाव भी करता है। साथ ही हम यदि शरीरिक प्रतिरोधक क्षमता के साथ ही कमजोरी को दूर करने के लिऐं सतावर, शिलाजीत, आंवला ,और अश्वगंधा ,लहसून , हल्दी आदि को भी लगभग तीन ग्राम प्रतिदिन ले सकते है। इम्यूनिटी तभी मजबूत होती है जब आपकी पाचन क्रिया ठीक हो कब्ज न हो।इसका जरूर ध्यान दे। विशेष कर हरी सब्जियों,का प्रयोग सूप, अदरक, लहसून हल्दी,,बीन्स,आदि का प्रयोग करें। नीबू,संतरे का प्रयोग करे गुनगुन पानी पिए।धूप में सरसों के तेल की मालिश करे ,हल्दी जीरा, अजवाइन का प्रयोग करे। जो सर्दी से बचाव करता है। रात को सरसों का तेल पैर के तलवों,व हाथो में मले ।नाक में शुद्ध सरसों, या गाय का देशी घी एक- एक बूंद नाक में डाले। आवले एवं अलसी, का उपयोग कर संक्रमण के प्रभावो से सुरक्षा का घरेलू अयुर्वेदिक पद्धति है। " दो गज की दूरी मास्क है जरूरी " आयुर्वेद अपनाऐं स्वस्थ वा निरोगी रहे ।

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