भांग एक नशा ही नही - चमत्कारी औषधि भी हैं, जानें

भांग एक नशा ही नही - चमत्कारी औषधि भी हैं । जानें क्यों -

भांग एक प्रमुख अयुर्वेदिक औषधि हैं। इस पौधें की लम्बाई मात्र चार से छः फीट की होती हैं।इसका वनस्पतिक नाम "कैनाबलिस इण्डिका " हैं, जो उत्तर भारत में अधिक पाया जाता हैं। भांग के पौधें में पत्तियों का सर्वाधिक उपयोग औषधिय रूप में किया जाता हैं। क्योंकि भांग में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पायी जाती हैं ।

डा0 राव के अनुसार भांग एक औषधिय है ,ना कि नशा का साधन कुछ लोगो ने भाग को नशा मानकर औषधि को बदनाम करने का प्रयास किया, अपितु हमारें योग्य आयुर्वेदाचार्यो द्बारा भांग को औषिधि के रुप में प्रस्तुत कर सभी को आशर्चय चकित कर दिया कि भांग एक महत्व पूर्ण औषधि हैं। यह औषधि चर्म विकार, नपुशंकता,गठियां रोग,आमवात,नींद ना आना,भूख ना लगना,मूत्र विकार, दस्त आने पर एवं पेट रोग संग्रहणी, व कोलाईटिस आदि विकारों में भांग की औषधि बहुत ही कारगर सिद्ध हुई हैं।

भागं औषधिय रुप में बहुत लाभकारी हैं । जैसे -

* कान दर्द में - भांग कें पत्ते मसल कर कान में दो- दो बूंद रस डालने से दर्द में आराम मिलता हैं।

* सिर दर्द या नीदं ना आनें पर - भांग के में पत्ते पीस कर सूंघेनें सें बहुत आराम मिलता है ।

* खांसी रोग में - चुटकी भर भांग चूर्ण में पीपर, काली मिर्च व सौंठ डाल कर लेने से खांसी में लाभ होता है।

* प्रमेंह रोग - नपुंसकता और शारीरिक यौन क्षीणता में भांग के बीजों को भूनकर चूर्ण बना कर एक चम्मच सेवन सें बहुत लाभ मिलता हैं।

* गठिया रोगों में - आमवात रोगों में भांग कें भूने हुऐ बीजों का चूर्ण लेनैं सें बहुत आराम मिलता है।

* भांग के पौधे का उपयोग पेपर, कपड़ा आदि बनाने में किया जाता है, जो ऐण्टीबैक्टीरियल होता हैं।

* संक्रमण रोगों में - यह टीबी, कुष्ठ, एड्स, कैंसर, दमा, मिर्गी, मानसिक रोग जैसे रोगों में काम आता है।

* सिद्ध आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। यह सूक्ष्म शरीर पर पहले कार्य करता है।

* भांग का उपयोग मन को एकाग्र करने कें लिये ऋषि , मुनि भांग का सेवन कर, साधना में लीन रहतें थे।

* भांग कें सेवन से भूख अधिक लगती हैं।

* भांग शरीर के विजातीय तत्वों या टॉक्सिंस को यह दूर करने में सहायक होता हैं ।

* भांग कें बीजों का चूर्ण , ककड़ी के बीजों के साथ शर्बत की तरह पीने से सभी मूत्र विकार रोग दूर होते है।

* अलझेइमर में भांग का तेल लाभकारी होता है।

* भांग का तेल कैंसर के ट्यूमर के कोशिकाओं की वृद्धि रोक देता हैं।

* दस्त आनें पर बिल्वादी चूर्ण में भांग पावडर मिलाकर लेनें सें आराम मिलता है।

* भांग के पत्तियों के चूर्ण को सूंघने मात्र से अच्छी नींद आ जाती है।

* पेट के रोग संग्रहणी या कोलाइटिस में भांग का चूर्ण, सौंफ और बेल की गिरी को मिलाकर लेने से आराम मिलता हैं ।

* भांग के पत्तो को बढे़ हुऐं हाइड्रोसिल वाले भाग पर इसके पीस कर बांधने से सूजन में आराम मिलता हैं।

* भांग के बीजों को सरसो के तेल में पका कर किसी जोडो कें दर्द में लगानें सें बहुत आराम मिलता हैं।

भागं कें पत्ते डाल कर उबाले पानी से घाव धोने से इंफेक्शन नहीं होता और घाव जल्दी भर जाता है।

नोट -

* वर्तमान में यह ड्रग्स की श्रेणी सें हटा दिया गया हैं। अब यह औषधिय रुप में दवाऐं बनानें में प्रयोग किया जानें लगा हैं ।

अतः भांग पौधा एक अयुर्वेदिक औषधि हैं।

अधिक जानकारी के लिऐं डा0 राव समिति के प्रमुख वैध/चिकित्सकों सें निः शुल्क परामर्श लें।

धन्यवाद...

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