थैलेसिमीयां रोग क्या है ? जानें -

थैलेसिमीया एक अनुवाशिंक रोग होता है। इस रोग से पीडि़त मरीज के शरीर में रक्त बनने की प्रकिया प्रायः समाप्त हो जाती है।जिससे थैलेसिमीया सें पीडि़त मरीज को स्वस्थ रहने के लिऐ अतिरिक्त ( खून) की आवश्यकता पड़ती है ।क्योकि यह एक रक्त जनित रोग होता है। इससे शरीर का रक्त 25 सें 30 दिनों पानी होता जाता है । इसलिऐ ऐसे थैलेसिमीया पीडि़त मरीजों स्वस्थ रखनें कें लिये प्रति माह 20 सें 25 दिनों कें मध्य रक्त (खून) चढ़वाना पड़ता है, जिससें रोगी का शरीर स्वस्थ रहता हैं। इसलिऐ थैलेसिमीया पीडि़त मरीज को सदा स्वस्थ रहनें कें लिऐ यह प्रक्रिया जीवन पर्यन्त चलती रहती है । थैलेसिमीया पीडि़त मरीज की पहचान के प्रमुख लक्षणों में रक्त की कमी,भूख की कमी बनी रहती है तथा पीडि़त रोगी का शरीर शारीरिक व मानसिक रुप से बहुत कमजोर होते है। तथा इनका शरीरिक विकाश असमान्य हो जाता है। इस प्रकार थैलेसिमीया पीडि़त मरीज का जीवन बहुत ही जटिल व संघर्ष पूर्ण भरा होता है। * थैलेसिमीया सें बचाव - थैलेसिमीया चूंकि एक अनुवाशिंक रोग हैं।इसलिऐ इस रोग से बचाव के लिऐ स्त्री-पुरुष को विवाह सें पुर्व थैलेसिमीया से सम्बन्धित रक्त की जाँच को प्रथमिकता देनी चाहिऐं। जिससे हम किसी बडी़ बीमारियों से बचाव कर सकतें है । थैलेसिमीया रोगी के लिऐं आपका सहयोग - 1. आपकें रक्त दान सें थैलेसिमीया से पीडि़त रोगी को नया जीवन दान मिल सकता हैं। 2. थैलेसिमीया पीडि़त मरीजो के लिऐ स्वेच्छा सें रक्त दान करें । 3. थैलेसिमीया मरीजों को आवश्यकतानुसार शारीरिक व आर्थिक रुप यथा सम्भव मदद कर नवजीवन के लिऐं उत्साहवर्धन करें । 4. आज वर्तमान अमर उजाला और कमिश्नरेट के साझा कायर्क्रम में थैलेसिमीया पीडि़त मरीजों को नया जीवन दान देने के लिऐ महा रक्त दान शिविर का आयोजन प्रति सप्ताह चल रहा है, जिसमें 100 से 200 रक्त युनिट ब्लड हर सप्ताह थैलेसिमीया पीडित मरीजों के लिऐ एकत्र किया जा रहा है , यह कार्यक्रम कानपुर नगर व सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिऐ प्ररणा स्त्रोत का कार्य किया जा रहा है। जिसके लिऐ हम सभी डा0/ वैध/चिकित्सक एवं सर्व समाज आपके द्बारा किये गये कार्य के लिऐ आभार प्रकट करता है।

Adv