दांतो के लिऐ वरदान है -प्राकृतिक दातुन

दांतों के लिए वरदान है- प्राकृतिक दातुन

हमारे स्वास्थ्य और मुंख के सौंदर्य के लिए दांतों की स्वच्छता आवश्यक है, दातुन का उपयोग प्राचीन काल से होता रहा है। यदि हम पेड़-पौधों से लिए गए दातुन से नियमित दांतों की सफाई की जाए तो हमारे दांत हमेशा स्वस्थ रहेंगे।

डा0 आर. राव अयुर्वेदाचार्य के अनुसार दांतों को दातुन से साफ़ किया जाए तो यह आयुर्वेद की दृष्टि में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि दातुन से अनेकों रोग में लाभ मिलता है। यह कषाय, तिक्त या कटु रस वाले किसी भी हरे पेड़-पौधों के डंठल या टहनी से दातुन बनाया जा सकता है। जैसे- नीम, बबूल, करंज, महुआ, कीकर, अर्जुन, इमली आदि के दातुन श्रेष्ठ होते हैं।

दातुन से मसूड़ों में मसाज करना भी एक प्रकार का व्यायाम है , जिससे मसूड़ों में दांतों के आगे-पीछे, ऊपर-नीचे अच्छी तरह से मसाज करने से दांतों के कीड़े या सूजन आदि स्वतः समाप्त हो जाती है। पेड़ की दातुन बनाने के लिए वृक्ष की ताज़ी व नरम शाखा लेनी चाहिए।

प्राकृतिक दातुन के निम्न प्रकार इस तरह उपयोगी होते हैं।

1. नीम की दातुन:-

नीम की दातुन सर्वश्रेष्ठ एंटीसेप्टिक होती है, नीम की दातुन दांतों को मज़बूत व चमकदार बनाते हैं। यह कीटाणुओं को नष्ट करते हैं तथा पायरिया व दन्त क्षय रोगो से बचाते है। नीम में पाए जाने वाले रसायन दातों की सड़न रोकते है, साथ ही कीड़े भी नहीं लगने देते हैं ,और मसूड़ों के पीप व घावों में संक्रमण से बचाते है।

2. बबूल की दातुन:-

यह दातुन भी मसूड़ों के लिए विशेष लाभकारी होती है। यह मसूड़ों में सिकुड़न को रोकती है तथा दांतों की पकड़ को मजबूत बनाती है। इससे मुंख की दुर्गन्ध भी दूर होती है।

3. करंज की दातुन:-

करंज का पेड़ ज्यादातर दक्षिण भारत में पाया जाता है। करंज की दातुन तिक्त,कटु, कषाय रस वाला, तीक्ष्ण, गुणकारी व ऊष्ण होती है। इसकी दातुन करने से मुंख के कीटांणु मर जाते हैं। यह कुष्ठ रोग, गुल्म, कृमि, मंदाग्नि, अर्श, ग्रहणी, शीतपित्त आदि रोगों के लिए विशेष लाभकारी होती है।

4. ख़ैर की दातुन:-

ख़ैर की दातुन मुंख दुंर्गन्ध दूर करने, दांतों से खून निकलने, मसूड़ों में सूजन आदि में लाभकारी होती है। यह मसूड़ों को मजबूत कर मुंख का स्वाद ठीक कर देती है। ख़ैर की दातुन खांसी, श्वास रोग, कृमि रोग, अतिसार, कुष्ठ रोग में लाभकारी होती है।

5. अर्जुन की दातुन:-

यह अर्जुन पेंड़ से ली गयी दातुन रक्त को शुद्ध करती है तथा इसकी दातुन का उपयोग करने से मधुमेह, ह्रदय रोग के लिए विशेष लाभकारी होती है।

6. कीकर की दातुन:-

कीकर की दातुन में कड़वापन रहता है। यह दुर्गंधनाशक़ तथा एंटीसेप्टिक का कार्य करती है। यह मसूड़ों के लिए भी बहुत लाभकारी होती है।

इसी प्रकार हमारे आयुर्वेदानुसार प्राकृतिक पेड़ों की दातुन विभिन्न रोगों से दांतों की सुरक्षा करती है। तथा और भी पेड़ों की दातुन लाभकारी होती है। जैसे- आका की दातुन, महुआ की दातुन, बट की दातुन, इमली की दातुन आदि।

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