प्रातः काल की " धूप " स्वास्थ के लिऐ अमृत समान -
"धूप" प्रकति का ऐसा वरदान है जो हमारे और आपके स्वास्थ्य के लिऐ ईश्वर का प्राकृतिक उपहार है जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। तथा सूर्य की यह किरणों में ऐसी रोगाणुनाशक शक्ति होती है जो कि मानव शरीर में औषधियों की तरह कार्य करती है , और यह हमारे शरीर की त्वचा में रक्तकोष को बढ़ाती है , जिससे जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, सूजन, मांसपेशियों में दर्द, हाथ पैरों में सुन्नता या ऐंठन आना आदि में प्रमुख रूप से आराम मिलता है। क्योंकि धूप के माध्यम से शरीर में कैल्सियम भी अपना कार्य करने लगता है। प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथों में कहा गया है जो व्यक्ति सूर्योदय के समय सूर्य की लाल किरणों का सेवन करता है उसे कभी ह्रदय रोग नहीं होता है, तथा जब बच्चे पैदा होते हैं तत्पश्चात प्रातःकाल सूर्य की पहली किरणें जब बच्चों पर पड़ती है तो बच्चों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती ही है। साथ ही विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव में धूप बहुत ही लाभकारी होती है।
" धूप " प्रकृति का वो उपहार है जिससे मानव शरीर में विटामिन "डी" भरपूर मात्रा में पाया जाता है। धूप ही हमारे शरीर की त्वचा में विशेष प्रकार की फफूंद और बैक्टीरिया को नष्ट करती है। जब त्वचा पर पड़ती है,तो कुछ तत्व रक्त में प्रवेश कर त्वचा को नयी शक्ति प्रदान करती है, जिससे शरीर के स्नायुतंत्र, मांसपेशियों में रक्तसंचार सुचारू रूप से बढ़ने से और अधिक क्रियाशील हो जाती है। गर्भवती महिलाओं को धूप का सेवन करना अतिआवश्यक है, क्योंकि उनमें विटामिन "डी" की कमी होने से गर्भ पर समय से पूर्व प्रसव की आशंका बानी रहती है। गर्भवती महिलाएं धूप का सेवन करती हैं। तो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव होता है। एक शोध में बताया गया है कि जो लोग धूप के सेवन से बचते हैं, उनमें ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारियां, किडनी रोग, मतिष्क विकार, स्मृति लोप, एकाग्रता में कमी, आदि विकार होने की संभावना बनी रहती है।
इसलिए हम सभी को धूप का सेवन अवश्य करना चाहिए,और यदि सूर्योदय के समय धूप का सेवन पांच मिनट से आधा घंटा तक प्रतिदिन करते हैं तो आपका शरीर सदा स्वस्थ एवं निरोगी रहेगा। अधिक जानकारी के लिऐ डा0 राव समित के चिकित्सक/वैध से निः शुल्क परामर्श ले । धन्यवाद ...
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