आपके पैर भी देते हैं बीमारियों के संकेत- आपके पैर भी सेहत के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। मधुमेंह रोग से लेकर हृदय रोग तक , डा0 राव के अनुसार शरीर में पोषण की कमी को भी हम पैरों के परीक्षण द्वारा प्रथम दृष्टि में जान सकते हैं, जैसे- पैर का ठंडा होना, जलन होना, नीला पड़ना, सूजन, दर्द, नाखूनों में आकार आदि की पहचान कर उपचार करने में सहायता प्रदान करते हैं। जैसे- थायरॉइड, डायबिटीज़, खून की कमी, किडनी रोग, ह्रदय रोग आदि से बचाव किया जा सकता है। 1. पैरों के घाव शीघ्र न भरना:- यदि पैर का घाव शीघ्र नहीं भरता है तो प्रथम दृष्टाय में यह मधुमेंह का लक्षण या संक्रमण हो सकता है।
2. पैरों में सुन्नता आना:- यदि पैरों में सुई जैसी चुभन, वेदना, जलन व झुनझुनी होना भी डायबिटीज़ के लक्षण हो सकते हैं। 3. पैरों की चमड़ी सख्त होना:- यदि पैरों की अँगुलियों में मोटे धब्बे की तरह उभरते बाद में ये कठोर हो जाते हैं तथा दर्द भी होता हो तो यह बीमारी "कोर्न" हो सकती है। इस अवस्था में गुनगुने पानी से डुबोकर सिकाई करें, या हल्दी व शहद का गाढ़ा लेप लगाएं। तारपीन का तेल या एरण्ड तेल लगाने से आराम मिलता है ।इसमें कोर्न प्लास्ट भी लगा सकते हैं। 4. पैरों में ऐंठन:- यदि पैरों में ऐंठन होना, मांसपेशियों में खिंचाव, परिश्रम के पश्चात पैरों में ऐंठन आदि की शिकायत शरीर में "पोषण की कमी" से होता है। ऐसी अवस्था में मरीज़ों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, हरी सब्जियों की कमी, दूध एवं विटामिन्स की प्रयोग करने से आराम मिलता है। 5. नाखून के आकार में बदलाव:- यदि नाखूनों में चम्मच के आकार का होना, पैरों में सूजन है तो यह खून की कमी का संकेत बताता है। इस अवस्था में आयरन एवं विटामिन्स युक्त भोजन लेने से आराम मिलता है।
6. पैरों में सूजन के साथ लालिमा, पैरों की नसों में खून के कतरे जमना आदि:- इस अवस्था में दोनों पैरों में सूजन, लालिमा युक्त, गर्माहट, चलने-फिरने में पैरों में खिचांव आदि "डीप बीन थ्रोम्बोसिस" अर्थात पैरों की नसों में खून का प्रवाह जम जाता है तो यह दर्द महसूस होने लगता है। जब यह रक्त प्रवाह टूटकर आगे बढ़ता है तो अगर जाकर फेफड़ों की नलिकाओं में जम जाता है, और वही आगे जाकर फेफड़ों की नलिकाओं में जम जाता है तो यह स्थिति "पल्मोनरी एम्बोलिज़्म" कहलाती है। इस अवस्था में चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। 7. अंगूठों के नाखूनों पर लाल धारियां:- नाखूनों पर लाल धारियां तब होती हैं, जब रक्त वाहिनियां टूट जाती हैं। इस अवस्था को "स्प्लिटर हिमरोज़" कहते हैं। यह उस अवस्था में होता है जब शरीर में कीमोथेरेपी हो रही हो, डायबिटीज़ से पीड़ित हो या एच०आई०वी० के मरीज़ों में जब रक्त प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो इस अवस्था में हार्ट फेल की संभावना बढ़ जाती है। कैसे करें पैरों की देखभाल:- 1. पैरों को अच्छे से धोना चाहिए। 2. पैरों की अँगुलियों व अंगूठों के मध्य संक्रमण से बचाव करें। 3. पैरों में नियमित तेल से मालिश या मसाज अवश्य करें। 4. नाखूनों को सावधानी पूर्वक साफ करें । 5. पैरों को ज्यादा लटकाकर न बैठें। 6. मधुमेंह के मरीजो के नाखूनों पर विशेष ध्यान से सफाई करें ।
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