जीवन में रहना हो स्वस्थ, तो त्याग करें -- नमक, चीनी,मैदा, और रिफाइन्ड

जीवन में रहना हो स्वस्थ, तो त्याग करें- नमक, चीनी, मैदा और रिफाइंड -

यदि हम सबको स्वस्थ एवं निरोगी रहना हो तो आपको नमक, चीनी, मैदा और रिफाइंड का त्याग करना होगा। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए इतने हानिकारक हैं कि इनका सेवन करने से मनुष्य मे विभिन्न रोगो का होना स्वाभाविक है। अगर हम ये सभी खाद्य पदार्थों का जन्म से लेकर आखिर तक प्रयोग ना करें तो मनुष्य स्वस्थ रहकर अमरत्व प्रदान कर सकता है, अमरत्व प्राप्त न भी करे तो मनुष्य निरोगी व दीर्घायु तो अवश्य हो सकता है। इसलिए हम सभी लोग भोजन मे नमक, चीनी, मैदा और रिफाइंड तेल का त्याग करें, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य का शत्रु है।

1. सफ़ेद नमक :-

भोजन मे नमक बहुत ही महत्व पूर्ण होता है । लेकिन हम सभी को भोजन मे सफेद नमक के स्थान पर सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिऐ,क्योकि सेंधा नमक मे चौरासी मिनरल्स पाये जाते है ,जो हमारे स्वास्थ्य के लाभदायक होता है। लैकिन सफेद नमक का उपयोग प्रायः नही करना चाहिऐ ।

जैसे -

1. नमक और जल के निष्कासन का त्वचा और गुर्दों पर अधिक दबाव पड़ने से गुर्दे व त्वचा में संक्रमण बढने का खतरा बना रहता है।

2. नमक से श्लेष्मिक झिल्लियां उत्तेजित हो जाती हैं। जिससे हार्मोन्स बढ़ जाने से उच्च रक्त चाप नामक बीमारी बढ़ जाती है।

3. सफ़ेद नमक से प्यास ज्यादा लगती है। जिससे मनुष्य का आवश्यकता से अधिक पानी पीने से मोटापा बढ़ जाता है।

4. नमक की मात्रा ज्यादा होने से रक्त प्रवाह भी प्रभावित हो जाता है। जिससे रक्त विकार उत्पन्न हो जाता है।

5. सफ़ेद नमक के प्रयोग से बालों का झड़ना व सफ़ेद बालों की समस्याएं जल्द आती हैं।

6. सफ़ेद नमक का सबसे ज्यादा सम्बन्ध रक्त चाप से होता है। यह उच्च रक्त चाप के लिए ज्यादा नुकसानदेह होता है।

2. चीनी (सुगर) :-

वर्तमान मे प्रायः सभी घरो मे चीनी का उपयोग बहुत अधिक मात्रा मे होने लगा है । जो हम सभी के स्वस्थ्य के लिऐ उचित नही है ।क्योकि गन्ने में पाए जाने वाले सभी विटामिन चीनी बनाते समय रसायनों के कारण ख़त्म हो जाते हैं। तथा लवण भी अलग होकर शीरे में पहुंच जाता है। इस प्रकार हमें चीनी तत्व के आलावा कोई पौष्टिक तत्व नहीं मिलता है, जिसके कारण हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे -

1. अधिक चीनी का सेवन करने से वह बिना पचे हुए रक्त में पहुँचकर मधुमेह नामक रोग पैदा करती है।

2. चीनी के सेवन से रक्तदोष हो जाता है, जिससे शरीर में फोड़े, फुंसी आदि विकार पैदा हो जाते हैं।

3. चीनी का अधिक सेवन करने से दांतों में सड़न व कीड़े हो जाते हैं। >/p> >p>4. दांतों में पायरिया होकर मसूड़ों से खून आने लगता है।

5. चीनी की अधिकता के कारण मेटाबोलिज्म से सम्बंधित रोग जैसे कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, इन्सुलिन रेजिस्टेंस और उच्च रक्तचाप का मरीज़ हो जाता है।

7. चीनी का अधिक सेवन करने से पेट पर वसा की परतें जम जाती हैं। जिससे शरीर में मोटापा, दांतों में सड़न, डायबिटीज़ तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी खराब कर विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है।

3. मैदा :-

भोजन मे मैदा का उपयोग प्रायः नही करना चहिऐ ।क्योकि मैदा को 'आंत का गोंद' भी कहते हैं। मैदे में फाइबर की कमी के कारण यह आँतों की प्रतिक्रिया को धीमा कर देती है। जिससे पेट में मैदा पच ना पाने के कारण, आँतों का संक्रमण के साथ ही विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है। जो शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। जैसे -

1. मैदा अधिक मात्रा में श्वेतसार होने से यह आँतों में चिपक कर कब्ज़ पैदा करता है। जो गैस का मुख्य कारण है। जिसके कारण शरीर में दर्द, सिर दर्द, आँतों में सड़न पैदा कर विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है।

2. मैदा चोकर रहित होने के कारण इसमें विटामिन 'ई' नहीं रहता है। जिससे मनुष्य की प्रजनन क्षमता कमज़ोर हो जाती है।

3. मैदा का सेवन आँतों में कब्ज़ बनाता है तथा आँतों में जमने के कारण संक्रमण पैदा करता है।

4. मैदा में चोकर न होने से कैल्शियम, लौह एवं प्राकृतिक लवण की अनुपस्थिति में शरीर में ऐनीमिया, रिकेट्स तथा निम्न रक्त चाप की कमी हो जाती है। जिससे कमज़ोरी आने लगती है।

5. मैदा में फाइबर की मात्रा न होने से यह भोजन के माध्यम से आँतों में नहीं पंच पाते हैं। जिसके कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देता है।

6. मैदा को भोजन में सेवन करने से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करता है। जैसे - कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़, अम्ल पित्त (ऐसीडिटी) , हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, गठिया आदि बीमारियों को जन्म देता है। इसलिऐ हमे भोजन मे मैदा का उपयोग नही करना चाहिऐ ।

4. रिफाइंड तेल -

रिफाइंड हमारे स्वास्थ्य लिए बहुत हानिकारक खाद्य तेल है। यह शरीर में विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है। जेसे -

1. रिफाइंड तेल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। क्योंकि खाद्य तेल के निर्माण में 5-6 प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण यह रिफाइंड तेल में एक भी आर्गेनिक तत्व नहीं होता है।

2. रिफाइंड में आवश्यक फैटी एसिड भी नहीं होता है। जिसके कारण हमारे शरीर में त्वचा रोग, जोड़ों का दर्द व अन्य समस्याएं उत्पन्न करता है।

3. रिफाइंड तेलों को बनाते समय तेल का अत्यधिक तापमान पर गर्म किया जाता है। जिससे उसके अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं तथा अधिक तापमान के कारण रिफाइन्ड और भी जहरीले हो जाते हैं।

4. कोलेस्ट्रॉल व ह्रदय सम्बंधित रोगियों को रिफाइंड तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

5. रिफाइंड तेल का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।

6. हमें प्रायः सरसों का तेल और नारियल तेल का प्रयोग करना चाहिए जो स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम लाभकारी है।

स्वास्थ के लिए हानिकारक - रिफाइंड तेल

आज वर्तमान में रिफाइंड तेल को खाद्य तेल के रूप में अधिक मात्रा में उपयोग किया जा रहा है। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। यदि हमें स्वस्थ समाज का निर्माण करना है, तो खाद्य तेल, रिफाइंड का उपयोग पूर्णतः बंद करना होगा नहीं तो यह रिफाइंड हमारे शरीर के लिए 'साइलेंट किलर' साबित होगा।

रिफाइंड तेल से हमारे शरीर में DNA और RNA को नष्ट कर देता है। तथा यह रिफाइंड विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है जैसे- हार्ट-अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा, मधुमेह (डायबिटीज़), नपुंसकता, कैंसर, हड्डियों का रोग, जोड़ों का दर्द, लिवर, गुर्दा संक्रमण, आँखों की रौशनी, प्रजनन शक्ति, चर्म रोग आदि बीमारियों को जन्म देता है।

प्रमुख कारण :-

रिफाइंड तेल बनाते समय बीजों को छिलके सहित तेल निकाला जाता है जिसके कारण तेल में अशुद्धियाँ निकालने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग कर रिफाइंड को साफ़ किया जाता है। रिफाइंड तेल को साफ़ करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम तेज़ाब जैसे अन्य खतरनाक रसायनों का प्रयोग कर सफाई की जाती है। तथा रसायनों से साफ़ करने के कारण तेल जहर बन जाता है। क्योंकि कास्टिक या साबुन को मिक्स कर 180o F पर गर्म किया जाता है। जिससे तेल के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। तथा रिफाइंड कलर के लिए प्लास्टर ऑफ़ पेरिस जैसे तत्व के साथ 130o F पर गर्म कर साफ़ किया जाता है। तत्पश्चात एक टैंक में निकोल एवं हाइड्रोजन को मिक्स कर हिलाया जाता है। यह सभी प्रक्रिया 7-8 बार गर्म-ठंडा किया जाता है जिससे तेल में पॉलिमर्स बन जाते हैं, जो हमारे भोजन पाचन प्रणाली का खतरा उत्पन्न करती है। जिससे हमारे शरीर के प्रमुख अंग प्रभावित हो जाते हैं।

इस प्रकार रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया में विभिन्न खतरनाक रसायनों का प्रयोग करते हैं साथ अधिकतम तापमान पर गर्म कर रिफाइंड तेल से मौजूदा सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। केवल रह जाता है। तो रिफाइंड तेल के नाम पर जहर; बाकी आप अपने स्वः विवेक से जाने हमें भोजन में खाद्य तेल का प्रयोग करना चाहिऐ या नहीं। यदि हम सभी को स्वस्थ रहना है तो रिफाइंड को त्याग करना होगा । और हमे अपने भोजन मे शुद्ध सरसों का तेल, नारियल का तेल, बादाम व मूंगफली तेल को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करना होगा । और अपने घर परिवार को स्वस्थ वा निरोगी बनाऐ ।

अधिक जानकारी के डा0 राव समित के चिकित्सको से सम्पर्क करे ।

धन्यवाद ...

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