लौकी जूस के औषधिय लाभ --
लौकी एक प्रकार की सब्जी है, जिसका पौधा एक लता( बेल) की तरह फैला होती है। जिस पर यह लौकी उगती है। यह दो प्रकार की होती है। एक लम्बी बेलनाकार, दूसरी गोला कार होती है। लौकी का वैज्ञानिक नाम -लगनेरिया है जो कि क्युकरबिटेसियाए परिवार की होती है। कही- कही इस लौकी को कद्दू भी कहते है। लौकी का छिलका हल्के हरा रंग का, और इसके अन्दर का गुदा सफेद होता है। सौ ग्राम लौकी मे लगभग 15 कैलोरी पायी जाती हैं। लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। इसका उपयोग सामान्य एंव स्वास्थ्य व्यक्तियो से लेकर रोगियों तक सभी के लिए वरदान साबित हुआ है। लौकी का उपयोग सलाद मे, रस , मिष्ठान्न, औषधि मे और सब्जी के रूप में लंबे समय से किया जाता रहा है। लौकी को कच्चा भी खाया जाता है। यह पेट साफ करने में भी बहुत ही फायदेमंद होता है साथ ही लौकी शरीर के दूषित विषाणुओ को निकालता है। अर्थात लौकी हमारे शरीर को टॉक्सिक फ्री भी बनाती है।लौकी के औषधिय लाभ --
1. कब्ज रोग में -- प्रातःकाल लौकी के रस का सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
2. गैस रोग में -- ताजी लौकी का रस मे पिसी अजवाइन, जीरा सेंधानमक, काला नमक मिलाकर पीने से पेट रोग व गैस मे आराम मिलता है।
3. पेट व सीने की जलन में -- सीने की जलन में लौकी का सेवन बहुत उपयोगी होती है।
4. बालों का झड़ना रोकने में --
लौकी का रस में आलिव आयल या तिल तेल में अच्छे से मिला कर लगाने से बालों के झड़ना रुक जाता है।5. हृदय रोग में -- भोजन के बाद एक कप लौकी के रस में थोड़ी-सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोगो में आराम मिलता है।
6. गुर्दा रोग में -- लौकी रस किडनी के रोगों में बहुत उपयोगी है , और इससे मूत्र विकार भी दूर हो जाते है।
7. कोलेस्ट्रॉल में -- लौकी में मिनरल्स की मात्रा अच्छी होती है। जो रक्त को डीटाक्स करते है। और लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। जो हृदय गति को सामान्य रखता है। एंव यह रक्त वाहिनियों को स्वस्थ बनाता है।8. मधुमेह रोग में -- लौकी को उबाल कर या उसके रस का सेवन प्रातःकाल करने से बहुत लाभ मिलता है।
9. डायरिया रोग में -- यदि हम डायरिया के मरीज को केवल लौकी का रस या जूस हल्के नमक और चीनी के साथ मिलाकर पिलाया जाए तो यह नहेचुरली हेल्दी लौकी जूस बन जाता है। जो डायरिया रोग में बहुत आराम दिलाता है।
10. मिर्गी रोग में -- लौकी का रस मिर्गी में भी लाभकारी हुआ है।
11. हैजा रोग मे -- हैजा होने पर 25 मिली लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं इससे यूरिन बहुत आता है और लाभ होता है।
12. घर पर लौकी जूस बनाने की विधि --
सबसे पहले लौकी को धो लें फिर उसे कद्दूकस कर लें। कद्दूकस की हुई लौकी में तुलसी के सात पत्ते और पुदीने की पाँच पत्तियाँ डाल कर मिक्सर में पीस लें। रस की मात्रा कम से कम 120 ग्राम होनी चाहिए। अब इस रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर तीन चार पिसी काली मिर्च और थोड़ा स्वाद अनुसार सेंधा नमक मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।नोट :--
लौकी रस किसी भी दिल के मरीज को दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को भोजन के बाद आराम से पिलाना चाहिए। प्रारम्भ के दिनों में रस कुछ कम मात्रा में लें और जैसे ही वह अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा बढ़ा दें। इसका लाभ अवश्य मिलेगा। तथा दूसरे अन्य मरीजो को प्रातःकाल लौकी जूस दे सकते है। और बहुत ही लाभ मिलता है।लौकी का रस पेट के विकारों को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है। जिसके कारण शुरूआत में पेट में गड़गड़ाहट और खलबली मच सकती है, इससे घबराएं नहीं कुछ समय बाद यह अपने आप स्वतः ठीक हो जाएगा।
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