भोजन मे मूली का महत्व --

भोजन मे मूली का महत्व -- मूली एक प्रकार की सब्जी है। जो सामान्यता सभी घरो मे सलाद व सब्जी के रुप में उपयोग की जाती है। डा० राव के अनुसार मूली ब्रैसिसेकी फैमिली की होती है। यह जमीन के' भीतर पैदा होने वाली एक सब्जी है, जो वास्तव में एक प्रकार की जड़ है। मूली भारत मे ही नहीं विश्व में लगभग सभी जगह उगाई व खाई जाती है। मूली का वैज्ञानिक नाम - राफेनुस सैटाइवस है। सौ ग्राम मूली मे लगभग 15 ग्राम कैलोरी, 39 ग्राम सोडियम, 233ग्राम पोटेशियम, 3.4 ग्राम कार्बोहाईड्रेट, 1.6 ग्राम फाइबर, 0.7 ग्राम प्रोटीन,0.1 ग्राम फैट पाया जाता है। मूली मे विटामिन ए, सी, डी, बी12,बी6, कैल्सियम ,मैग्नीशियम, आयरन आदि पाया जाता है। मूली का सेवन प्रायः सुबह व दिन में खाना चाहिऐ । सूर्यास्त के पश्चात मूली को नहीं खाना चाहिए।

मूली खाने से लाभ व औषधि गुण निम्न है -- 1. मूली मे एण्टीबैक्टीरियल गुण पाये जाते हैं, जो सामान्य बीमारियों की संभावना को कम करते है। जैसे- सर्दी-जुखाम , 2. मूली खाली पेट नही खाना चाहिए, इसमे आयरन की अधिकता के कारण पेट दर्द, या गैस की समस्या हो सकती है। 3. गुर्दे की पथरी रोग में - मूली में सोडियम की अधिक्ता के कारण पथरी को गलाने में सक्षम होती है। तथा यह मूत्रावरोध को भी दूर करती है। 4. रक्त पित्त में -- मूली क्षारीय है, इसलिए रक्त की अम्लता को कम करती है। 5. चर्म विकार में -- मूली में गंधक होने के कारण चर्म रोगों मे लाभदायक होती हैं। 6. चेहरे की चमक में -- त्चचा को कोमल व चमकदार रखने के लिए मूली के रस से मसाज कर आधे घंटे बाद धोने से चेहरे की चमक बढ़ती है। 7. शरीर में खुजली होने पर -- त्वचा मे खुजली होने पर खुजली वाले स्थान पर मूली के रस का प्रयोग करने से आराम मिलता है। 8. कृमि रोग में -- मूली की तेज गंध पेट के कीड़ों को नष्ट करके शक्तिशाली एंटीबायोटिक का कार्य करती है। 9. पेट की कब्ज मे -- मूली पेट रोग मे बहुत उपयोगी होती है। मूली में उपस्थित क्लोरीन पेट में सफाई करके कब्ज समाप्त कर,मल को बाहर निकालती है। 10. ज्यादा कब्ज में -- जटिल कब्ज की स्थिति में एक कप मूली के रस में आधा नीबू का रस मिलाकर प्रातः खाली पेट पीने से आराम मिलता है। 11. भूख न लगने पर -- भूख न लगने पर सर्वप्रथम आधा कप मूली के रस में एक-एक चम्मच अदरक व नीबू का रस मिलाकर पीने से भूख खुलकर लगती है। 12. रक्तचाप व हृदय गति में -- मूली में पोटेशियम की मात्रा होने के कारण रक्तचाप नियंत्रण में रहता है । जो दिल की गति ठीक रखती है। और दिल की धमनियाँ और माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं। 13. उच्च रक्तचाप में -- उच्च रक्तचाप के मरीजों को मूली का रस बार - बार , थोड़ा -थोड़ा लेना चाहिए । 14. निम्न रक्त चाप में -- निम्न रक्तचाप के रोगी को मूली रस में सेंधानमक मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

नोट :-- मूली खाने के लगभग दो घंण्टा तक दूध नहीं पीना चाहिए। मूली या किसी भी खाद्य भोजन मे मूली या जंक फूड के पश्चात दूध का सेवन नही करना चाहिए ,नही तो शरीर में चर्म रोग की संभावना बढ़ जाती है। और अधिक जानकारी के लिए आप डा० राव समित के चिकित्सक से निः शुल्क परामर्श ले सकते हैं। धन्यवाद...।

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