सर्दियों मे सर्व श्रेष्ठ आहार है -- बथुआ साग बथुआ का साग/ सब्जी के रूप में खोये जाने वाला प्रमुख एवं महत्व पूर्ण आहार है। जो प्रोटीन, विटामिन, फाइबर वां मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। डा० आर० राव (आयुर्वेदाचार्य )के अनुसार बथुआ में पाये जाने वाले महत्वपूर्ण विटामिन एंव मिनरल्स निम्न है - बथुआ मे विटामिन बी-1, बी-2, बी-3, बी-5, बी-6, बी-9 और विटामिन सी - से भरपूर मात्रा है। तथा बथुवे में कैल्शियम, आयरन , मैग्नीशियम, मैगनीज, फास्फोरस, पोटाशियम, सोडियम व जिंक आदि मिनरल्स पाये जाते हैं । 100 ग्राम कच्चे बथुवे यानि पत्तों में 7.3 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 4.2 ग्राम प्रोटीन व 4 ग्राम पोषक फाईबर रेशे होते हैं। जो कुल मिलाकर 43 कैलोरी होती है। बथुआ दो प्राकार का पाया जाता है।
1.देशी बथुआ 2.जंगली बथुआ देश बथुआ साग/सब्जी के रुप में प्रयोग किया जाता है। तथा जंगली बथुआ अयुर्वेदिक दवाओ को बनाने में प्रयोग किया जाता है। यह छोटा, बड़ा लाल हरे पत्ते दार होने के कारण ही यह दो प्रकार से विभाजित किया गया है। गुणो मे हरें बथुआ से ज्यादा लाल बथुआ औषधि रूप से बहुत उपयोगी होता है। जो वात, पित्त, कफ के प्रकोप को शांत करता है। और शारीरिक बल, बुद्धि का विकास करता है। बथुआ औषधि रूप मे कब्ज मे, लीवर, गुर्दे रोग, शरीर की सूजन, फोड़े-फुन्सी, खून साफ करने मे तथा हद्बय रोग आदि मे बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है। जब बथुवा शीत (मट्ठा, लस्सी) या दही में मिला दिया जाता है तो यह किसी भी दूसरे फाइबर से ज्यादा प्रोटीन वाला व किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ से ज्यादा सुपाच्य व पौष्टिक आहार बन जाता है। जब कोई ब्यक्ति बीमार पड़ता है तो चिकित्सक सर्व प्रथम विटामिन या ताकत की दवा देता है, लेकिन यदि हम अपने भोजन मे बथुआ का प्रयोग करे तो हमे सभी विटामिन एवं मिनरल्स मिल जाते हैं। और यह बथुवे में वो सबकुछ है ही प्रकृतिक रूप से मिल जाता है। कहने का मतलब है कि बथुवा पहलवानो से लेकर गर्भवती महिलाओं तक, बच्चों से लेकर बूढों तक, सबके लिए अमृत समान है। बथुआ का साग प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। बथुए के साग का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो निरोग रहने के लिए सबसे उत्तम औषधि है।क्योंकि बथुवै में जिंक पर्याप्त मात्रा होता है। बथुवा का सेवन से कब्ज दूर करता है और पेट साफ करता है । और शरीर में ताकत और स्फूर्ति बनाऐ रखता है। पथरी हो तो ग्रीन ज्यूस में मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। पेशाब के रोगी के लिए सर्वश्रेष्ठ औषधि है। जीवन में कभी दवा नहीं खाना चाहते तो इस पौधे के महत्व को जाने,कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक है। बथुआ एक पौधा मात्र ही नहीं है । इसका सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है और भी कई तरह से इसका उपयोग हमारे शरीर के लिए उपयोगी है । इसमें ऐसे कई औषधिय गुण होते हैं जो इसको खास बनाते हैं और इसके सेवन या उपयोग करने से हमें दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती । .बथुआ के औषधि गुण -- 1. उदर रोग मे - बथुऐ के रस में नमक मिला कर सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट की कई बीमारियों का निदान होता है । पेट दर्द में भी यह आराम देता है । 2 . बाल की रूसी ओर डैन्डृफ मे -- सर में अक्सर गंदगी के कारण रूसी और जुओं के होने की समस्या देखी जाती है । इन सब से आसानी से निपट ने के लिए आपको बस बथुए और नींबू को पानी में उबाल कर उससे सर धोना है इससे इस समस्या का निदान होता है । 3 . मूत्र विकार मे -- अक्सर पानी की कमी के कारण या फिर किसी और कारण से यूरिन में जलन और दर्द की शिकायत होने लगती है । बथुए में नमक जीरा और नींबू को उबाल कर उसके सेवन से इस समस्या का निवारण होता है । 4. पथरी रोग में - बथुए के रस में चीनी मिला कर पीने से पथरी की समस्या आसानी से हल हो जाती है । 5. बुखार में - अगर आपको मलेरिया है या बुखार है तो बुखार मे बथुआ के रस का सेवन आपके लिए लाभकरी होता है। इसको पीने से बुखार चला जाता है। 6. तवचा एंव कील-मुहासे मे -- त्वचा के लिए बथुआ का रस निकाल कर पीने वा नियमित खाने से रक्त साफ हो जाता है। जिससे त्वचा मे दाग, धब्बे, कील, मुंहासे ठीक हो जाता है। 7. कील मुहासो मे- बथुआ पत्ती रस से फोड़े , फुन्सी दाद, खाज , खुजली की समस्याओं से छुटकारा मिलता है! 8. मुख की समस्या - अगर आपको मुँह से संबन्धित कोई भी समस्या है तो इसकी पतियों को चबाने से उसका निवारण होता है । अधिक जानकारी के लिए आप डा0 राव समिति के चिकित्ससको से सम्पर्क करे। धन्यवाद....।Adv