तिल का तेल ... स्वास्थ्य के लिये अमृत है। यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होता है ।और ना ही आने वाली पीढ़ियों को तिल के तेल के महत्व को जान पाऐगे । अयुर्वेद के अनुसार डा० राव ने तिल के तेल का घरेलू एंव औषधि गुणो विस्तरित रुप से वर्णन किया है। जो कि निम्न लिखित है ---
1. तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. यदि आप को देखना हो तो आप एक कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे म तैले को भर दिजिये.. दो दिनों के बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की असली ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को आर- पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है । 2. तिल - तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूत बनाने मे अहम भूमिका अदा करता है । 3. तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है. तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता नही होगी । 4. तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल"..... 5. तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए औषधिय का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है. यह गुण और किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता । 6. सौ ग्राम सफेद तिल से एक हजार मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम पाया जाता है। काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती हैं जो शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। 7. तिल में विटामिन सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर होता है। इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में भी नहीं होते। 8. तिल का बीज स्वास्थ्यवर्द्धक, वसा का बड़ा स्त्रोत है जो उपापचय क्रिया को बढ़ाता है। यह कब्ज भी नहीं होने देता। तिल बीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं। 9. तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप सदैव स्वस्थ्य रहेंगे। 10. एक बात का ध्यान अवश्य रखिएगा की बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं.. जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा. ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुँच में हो जाएगा. जब चाहें जाएँ और तेल निकलवा कर ले सकते है। 11. तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड (mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से खराब कोलेस्ट्रोल को कम करके अच्छे कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। 12. तिल फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है। 13. इसमें नियासिन नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है। 14. तिल में बहुत ही महत्वपूर्ण मिनरल पाये जाते हैं - जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है। 15. तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है। 16. शिशुओं के लिए तिल के तेल की मालिश के रूप में प्रयोग किया जाता है। एक अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर उनकी मांसपेशियाँ को मजबूत बनाता है। 17. तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है। जो गठिया एव हड्डियों के रोग से बचाता है। 18. तिल का तेल मधुमेह के रोगो मे दवाईयों को प्रभावकारी बनाता है । 19. दूध के तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है ।जो कोलेस्ट्रल पर नियंत्रण रखती है। 20. तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है. तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर मे लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता होती है। 21. तिल तैल अगर महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। 22. सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता है। 23. तिल तैल से चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है। 24. तिल का तेल मे विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है और लंबे होते हैं। 25. जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करने से आराम मिलता है । 26. तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।इससे मर्दानगी ताकत मे आराम मिलती है! यह खाद्य तैल का प्रयोग हिन्दू धर्म में भी तिल के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है, जन्म, मरण, परण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि तक इसलिए तिल का तैल सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिये वरदान सिद्ध हुआ है । और अधिक जानकारी के लिये आप डा० राव समित से सम्पर्क करे । धन्यवाद....।Adv