वर्तमान में आज पूरे विश्व मे मधुमेह रोगियो की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण मनुष्य की दिनचर्या, आहार -विहार के क्रम को परित्याग पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहा है मुनष्य पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर अपथ्य भोजन के सेवन से उच्चरक्त चाप ,अनिंद्रा, मधुमेह आदि रोग से ग्रसित होता जा रहा है। मधुमेह मे शरीर के धातुओं को प्रभवित करती है, यह मिथ्या आहार-विहार से विकृति त्रदोश् से उत्पन्न विशिष्ट लक्षणों वाली व्याधि होती है। मधुमेह के कारण इन्सुलिन की कमीः- हमारे शरीर में पेंक्रियाज ग्रन्थि’’ होती है जिसमे अल्फा और बीटा कोशिका होती है जिनसे ग्लूकागोन एवं इन्सुलिन हार्मोन का स्राव होता है , ये ब्लड सुगर के स्तर को निंयन्त्रित करती है, इन्सुलिन हार्मोन ब्लड सुगर स्तर को कम करता है, एवं कोशिकाओं में शुगर के उपापचय को बढ़ा देता है इन्सुलिन की कमी से ही ब्लड शुगर बढ़ जाता है इसी को मधुमेह कहते है। कोशिकाओ को अपनी सामान्य क्रियाओ के लिये पोषण की कमी लिए और कोशिकाओं का निर्माण हेतु ऊर्जा की जरूरत होती है इंसुलिन की कमी से कोशिकाओं को आवश्यकता के अनुसार शर्करा नही मिल पाती है, इसी कारण कोशिकाऐं ऊर्जा की जरूरत की पूर्ति अपने संचित शर्करा प्रोटीन एवं वसा से करती है परिणाम स्वरूप समस्त शरीर की कोशिकाओ में दुर्बलता आ जाती है, जिसके कारण मधुमेह रोगी समय से पहल कमजारे हो जाते है। उपरोक्त कारणो से ही विभिन्न लक्षण दिखाई देने लगते है जैस -- मधुमेह के प्रमुख लक्षण -- 1. बार-बार मूत्र का आना 2. बार-बार प्यास का लगना 3. बार-बार संक्रमण का होना 4. आंखो में घुधलापन आना 5. वजन का कम होना, 6. भूख जल्दी-जल्दी लगना, 7. घावो का जल्दी न भरना 8. शारीरिक रूप से कमजोरी आना 9. पुरूषो में कामोत्जना की कमी आना 10. मनुष्य में चिचिडापन व तनाव का होना मधुमेह रोगियो को निम्न जाँचे अवश्य करानी चाहिये। 1. ब्लड शुगर (प्रत्येक माह) 2. बी-1 (3 माह में एक बार) 3. रेटिना की जाँच (6 माह मे एक बार) 4. कोलेस्ट्राल की जाँच (2 माह में एक बार) 5. न्यूरोलाजिकल जाँच (वर्ष मे एक बार) मधुमेह रोगियो की आयुर्वेद औषधियो से उपचार-- 1. चन्द्रप्रभा वटी, आरोग्य वर्धनी वटी 2-2 सुबह/शाम 2. बसंन्त कुसमाकर रस, शीलाजित्यादि वटी 1-1 गोली सु/शाम 3. त्रिफला चूर्ण रात्रि में गुनगुने पानी से। 4. नीम, करेला जामुन का मिश्रण जुस प्रातःकाल... 5. योगाभ्यासः अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, कपाल भाति मुख्य रूप से अधिक जानकारी के लिये चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले। पथ्यः- मधुमेंह रोगियो को सुपाच्य भोजन ले, ताजे फल, हरी सब्जिया, सलाद करेला, गाजर, मूली, आवला, जामुन, हल्दी, मेथी, शल्जम आदि । अपथ्यः- मीठे पदार्थो के सेवन से बचे, दही मलाई दूध, मिष्ठान आदि । मधुमेह रोगियों की आहार तालिकाः- मधुमेह रोगियो का नियम संयम का विषेष ध्यान रखना चाहिये। जो निम्न है। 1. प्रातःकाल सुर्योदय से पुर्व उठकर टहलना चाहिए तत पश्चात आधा घंटा कम से कम योगाभ्यास करे योगाभ्यास में प्रमुख रूप से, अनुलोम-विलोम, कपाल भाति, प्राणयाम। 2. 7ः00 बजे 1 कप चाय (बिना चीनी की) के साथ 2 नमकीन बिस्कुट 3. प्रातः 8ः00 बजे 1 सेब या अंकुरित चना , टमाटर , प्याज , नीबू , मूंग , हरा धनिया आदि ले सकते है। या 2 ब्रेड सिकी हुई ,250 ग्राम दूध आदि 4. दोपहरः- 2 से 3 रोटी और 1 कटोरी हरी सब्जी $ आधा कटोरी सलाद ले। 5. अपराहन 4 बजे: 2 नमकीन बिस्कुट और 1 कप चाय चीनी रहित या 1 सेब $और आधा गिलास दूध या लईया चना भुना भी ले सकते है। 6. साय 7ः00 बजे 2-3 रोटी और 1 कटोरी दाल आधा कटोरी सब्जी 1/2 कटोरी सलाद अवश्य ले। 7. रात्रि 9ः00 बजे 10ः00 तक 150 ग्राम दूध चीनी रहित। नोट- सलाद में क्या ले - टमाटर, खीरा, ककड़ी, गाजर, पत्ता गोभी, हरा धनियां, नीबू आदि हरी सब्जियो में - पालक, हरा मेथी ,करेला, लौकी, परवल, तरोई सहजन, टमाटर, पत्ता गोभी, कच्चा पपीता, कच्चा केला आदि । रोटी- 10 किलो ग्राम गेहूँ में 1 किलो चना और 1 किलो सोयाबीन 1 किलो जौ , 500 ग्राम मेथी का पीसवा कर रख ले। अधिक जानकारी के लिये चिकित्सक से सलाह ले।
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