अस्थमा अब जानलेवा नहीं बस इन बातों का रखें ध्यान ....................

अस्थमा एक श्वास विकार है जिसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, या वातावरण में प्रदूषण इसका सबसे महत्वपूर्ण कारक है। बच्चो की प्रारम्भिक में यह रोग होने की संम्भावना ज्यादा होती है क्यो कि जब बच्चे 5 से 10 वर्ष के होते तो इनकी देखभाल करना कठिन होता है। मौसम परिवर्तन के कारण खांसी, जुखांम हो जाता है। तो इस अवस्था में श्वशन क्रिया प्रभावित हो जाती है। जिससे श्वांस लेने में कठिनाई होती है यहा तक कभी-2 बच्चों को श्वांस का दौरा भी पड़ने लगता है, इस दौरान श्वांस नांलिका में सूजन आ जाने से श्वसंन क्रिया प्रभावित हो जाती है यह अवस्था आगे चलकर मरीजो में ब्रोंकियल अस्थमा कहलाती है। यह भी कह सकते है कि जब रोगी की श्वांस नालिकाओं की पेशियों मे सुंकुचन होने से उत्पन्न होता है जिसके कारण श्वांस नालिकाओं में अवरोध हो जाता है, जिससे श्वांस लेने में कठिनाई होती है। कारणः- यह रोग विशेष प्रकार की एलर्जी के कारण हो सकता है जैसे-घूल, धुआ, परागकंण, आदि। इसके अलाव अस्थमा रोग के प्रमुख कारणो में मौसम परिवर्तन, ठण्डा -गर्म, खट्टी वा बादी चीजो के खाने से भी तथा यह रोग वंसानुगत भी देखा गया है। लक्षणः- अस्थमा के रोगियो में अस्थमा का आक्रमण प्रायः रात्रि के समय होता है, श्ंवास लेने में परेशानियां होने लगती है तथा कभी-2 घबराहट, बैचेनी, सीने मे भारीपन महसूस होना, बार-2 पेशाब लगना, श्वांसन क्रिया में परेशानी होना आदि। घरेलू उपाय (बचाव)--

1. पथ्य - अपथ्य का विशेष ध्यान देना चाहिये।

2. कफ बनने वाली खाद्य पदार्थो का सेवन नही करना चाहिये।

3. अनुलोम विलोम, प्राणायाम आदि योग प्रतिदिन करना चाहिये।

4. औषधि में - श्वांस कुठार रस, लक्ष्मी विलास रस, व्योषादि वटी कफ केतु रस 2-2गोली सु/शाम, तालीसादि चूर्ण, वांसावलेह, लवगांद वटी एव च्यवनप्रास का प्रयोग करने से आराम अवश्य मिलेगा।

अधिक जानकारी हेतु अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य ले।

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