डेगूं ,मलेरिया, कैसंर रोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढाता हैं - पपीता

डेंगूं मलेरिया कैंसंर रोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढा़ऐ - पपीता पपीता एक स्वादिष्ट फल है। इसका वैज्ञानिक नाम- कँरिका पपाया यह केरीकेसी परिवार का होता है। पपीता औषधिय रूप से स्वास्थ के लिऐं बहुत लाभ कारी होता है, जो हमारे शरीर की पाचन शक्ति के साथ ही भूख भी बढा़ता है।यह प्लीहा ,यकृत ,और पीलिया जैसे रोगो में चमत्कारी औषधि का काम करता है।

डा0 आर.राव (अयुर्वेदाचार्य ) के अनुसार पपीता पत्ती में रोग प्रतिरोधक प्रतीक्षा प्रणाली को मजबूत करती है।क्योंकि इसमें ऐण्टीआक्सीडेन्ट,फाईबर, विटामिन जैसे कई पोषक तत्व पाये जाते है। पपीता को प्रायः खाना खाने से पहले ही खाना चाहिऐं। जो हमारे पाचन के लिऐ अच्छा माना जाता है। पपीते का सेवन सर्दियों में जरुर करना चाहिऐं जो पाचन के साथ ही समस्त पेट विकार मे लाभकारी होता है,क्योकि इसकी तासीर भी गर्म होती है। कच्चा पपीता का भी प्रयोग करना चाहिऐं क्योकि इसमे भरपूर मात्रा में फाईबर ,और कैल्शियम पायाजाता है,जो हमारे आंतों की सफाई के लिऐं उत्तम औषधि का काम करता है। कच्चे पपीता में लेटेक्स और पेपेन पाया जाता है । कच्चा पपीता मे विटामिन सी भी पाया जाता है जो त्वचा के लिए लाभकारी होता है।तथा कच्चे पपीते में विटामिन ए, सी, ई,प्रोटीन,मैग्नीशियम ,पोटेशियम,कैल्शियम,फाईबर,आयरन आदि अन्य एण्टीआक्सीडेन्ट पाये जाते है। महिलाओं को विशेषकर , कच्चा पपीते का सेवन करने से भरपूर मात्रा में कैल्शियम प्राप्त होता है, जो अनियमित मासिक धर्म को ठीक रखता है,साथ ही पी सी ओ एस बीमारी जैसे लक्षणों से भी बचाता है। इसलिए कच्चा पपीता भी सप्ताह मे ऐक बार सभी को सब्जी के रुप में सेवन करना चाहिऐ। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रायः कम से कम 100 ग्राम से 200 ग्राम तक पका पपीता प्रतिदिन लेना अच्छा होता है। पपीता बवासीर,पेट,गैस,संग्रहणी,यकृत,प्लीहा,चर्म विकार आदि रोगों में लाभ करता है,साथ उच्च् रक्तचाप रोगों को नियन्त्रित भी करता है।

पपीता पत्तों के लाभ

:- पपीता के पत्ते हमारे स्वास्थ के लिऐ लाभकारी होते हैं -

1. डेंगू बुखार में :- यदि आप डेंगूं बुखार सें पीडित है, तो सर्व प्रथम पहला उपाय आपके मन में आता है।" पपीता पत्ता" क्योंकि पपीता के पत्ते में डेंगू वायरस की वृद्धि को रोकने की क्षमता होतीे हैं,और ब्लड मे प्लेटलेट्स का उत्पादन बढ़ाती हैं,जिससे रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ,और डेगूं के प्रभाव को खत्म करती है।

2. प्लेटलेटस् की संख्या कम होने पर :-

जब शरीर में किसी भी बीमारी के कारण प्लेटलेट्स कम हो जाती है , तो फिर से आपके दिमाग में सबसे पहला उपाय आता है- पपीता के पत्ता , पपीता के पत्ते प्लेटलेट्स के उत्पादन की बहुत क्षमता होती है।इसलिए - आईटीपी सहित सभी प्रकार के थ्रोम्बो-साइटोपेनिया में पपीता के पत्तों का प्रयोग अवश्य करें।

3. कैंसर में - कैंसर के रोग में एलोपैथिक उपचार करवा रहे हैं, और वे अन्य दवाओं के साथ-साथ आयुर्वैदिक उपचार के लिए आपसे परामर्श करते हैं, तो पपीता के पत्ते सहायक औषधी के रूप में अवश्य दे। शोध बताता है कि पपीता के पत्तों में अर्बुदहर क्रिया पायी जाती है।

4. मोटापा रोग में- मोटापा के रोगियों में पपीता के पत्तों का प्रयोग करना लाभकारी होता है।क्योकि शोध बताता है कि पपीता के पत्ते वजन कम करने में मदद करते हैं।

5. उच्च कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के रोगियों में :-

पपीता के पत्तों का उपयोग अवश्य करें। शोध बताती है कि पपीता रक्त में बढ़े हुए फैट्स को कम कर रक्त को शुद्ध करता है।करता है।

6. मधुमेह रोग में :-

मधुमेह के रोगियों को पपीते के पत्ते खाने की सलाह दी जाती है,क्योकि यह पपीता के पत्ते बढ़े हुए ब्लड शुगर को कम करते हैं।

7. मलेरिया रोग मे:-

पपीता के पत्तों के उपयोग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, और यह सहायक औषधी के रूप में अवश्य प्रयोग करें। क्योंकि यह इसमे मलेरिया-रोधी गतिविधि होती है।

पपीता के पत्तों का उपयोग कैसे करें?

पपीता के पत्तों को किसी भी रूप में ले, लाभ अवश्य करेगा।

1. पपीता के पत्तों का रस - 15-30 मि.लि.,दिन में दो बार लें।

2. सूखे पत्तों का चूर्ण बनाकर दो से पाँच ग्राम, दिन में दो बार ले।

3. पत्तों का क्वाथ के रुप में - 30 मिली, दिन में दो बार ले।

नोट-

पपीता का सेवन गर्भावस्ता और दस्त के समय नही करना चाहिऐं। अधिक जानकारी के लिऐं डा0 राव समिति के चिकित्सक/वैधौ से निः शुल्क परामर्श ले। धन्यवाद. 7784086917_____________

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