हड्डियों के रोगों में वरदान है - मोरिंगा (सहजन)

हड्डियों के रोगों में वरदान है - मोरिंगा ... सहजन अर्थात " मोरिंगा " यह पेड़ मनुष्य के स्वास्थ के लिऐं वरदान है। सहजन पेड़ का पंचागं जड़,तना,पत्ती फूल और फली में बहुत प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइडेट , कैल्सियम, पोटेशियम आयरन, मैग्नीसियम, विटामिन ए , विटामिन बी,और विटामिन सी भरपूर मात्रा मे पाया जाता है। जो शरीर के समस्त रोग विकारो में चमत्कारी औषधि के रुप में कारगर है। डा0 आर.राव के अनुसार इसका बाटनिकल नाम "मोरिगां ओलिफेरा " है, हिन्दी में इसको सहजन कहते है। सहजन को विभिन्न प्रदेशो मे अलग- अलग नामो से जाना जाता है। सहजन वात,पित्त,कफ तीनो में भहुत ही कारगर सबित हुआ है।जैसें- सहजन फली का सेवन करने से जोडो़ के दर्द में,गठिया में,सियाटिका आदि वात रोगों में लाभकारी होती है। तथा इसका फूल उदर विकार एंव कफ रोगो में बहुत लाभकारी है।और इसकी पत्तियां नेत्र रोगों में लाभकारी होती है। सहजन छाल का सेवन साइटिका, गठिया, सूजन, चोट ,मौचं , आस्टियोपोरोसिस , लीवर ,एंव रोगप्रतिरोधक क्षमता बढा़नेमें लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं। इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, मधुमेह, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी लाभ मिलता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना- 1. सौ ग्राम सहजन फली में – चार गिलास दूध के बराबर ताकत होती है। 2. एक ग्राम सहजन में संतरे से सात गुना विटामिन सी होता है। 3. एक ग्राम सहजन में गाजर से चार गुना विटामिन ए होता है। 4. एक ग्राम सहजन मे दूध से चार गुना कैल्शियम प्राप्त होता है 5. एक ग्राम सहजन मे केले से ज्यादा पोटेशियम होता है। 6. एक ग्राम सहजन में दही भी ज्यादा प्रोटीन की मात्रा होती है।

" सहजन " ( मोरिंगा) के फल,फूल,पत्ती,छाल और जड़ के औषधिय गुण- 1. सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है। 2. सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका, गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है। 3. सहजन को पानी में उबालकर भाप लेने से सर्दी,जुकाम में आराम मिलता है। 4.सहजन उच्च रक्त चाप को नियन्त्रित करता है। 5. सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा चोट ,मोच व सूजन वाले स्थान पर लगाने से शीघ्र लाभ मिलता है। 6. सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। 7. सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है। 8. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। 9. सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है। 10. सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

11. सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है। 12. सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है। 13. सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। 14. सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम और सीलियम भी होता है। 15. सहजन में विटामिन ए होता है ।जिसके कारण आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है। 16. सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। 17. सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए अच्छा माना गया है। 18. कुपोषण पीड़ित लोगों के आहार के रूप में सहजन का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। अधिक जानकारी के लिऐं डा0 आर.राव (अयुर्वेदाचार्य) से निः शुल्क परामर्श ले ।7457903786 धन्यवाद...।

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