भारत में यह रोग स्त्री एवं पुरूषो में 40-45 वर्ष की आयु में यह आंखो का रोग दिखाई देने लगता है। यह आखों का रोग पुरूषो की अपेक्षा महिलाओ मेें ज्यादा दिखाई पड़ता है। यह रोग मधुमेह, उच्च रक्त चाप निकट दोष, धूम्र पान मानसिक तनाव, सिर दर्द बना रहना आदि तथा यह अनुवाषिंक कारण भी हो सकता है। यदि समय रहते इस रोग का उपचार न किया जाये तो आंखो की रोशनी भी धीरे-धीरे बढतो है जो कि आप्टिकनर्व दबाव के कारण हानि हो जाती है।
1. ओपन एंगल ग्लूकोमाः इसमे आंखो पर तेज दबाव बढ़ता है, सिर पर तेज दर्द होना लक्षण अचानक दिखाई पड़ता है।
2. एंगल क्लोजर ग्लूकोमाः इसमे आखों पर तेज दबाव बढ़ता है, सिर पर तेज दर्द होना लक्षण अचानक दिखाई पड़ता है।
ग्लूकोमा के लक्षणः-1. सिर में दर्द लगातार बना रहना।
2. आखों में दर्द के साथ-घुघलापन होना।
3. जी मिचलाना, उल्टी महसूस होना।
4. पाष्र्व दृष्टि का नष्ट होना।
5. आखें लालिमा युक्त होना।
6. नेत्र में भारी पन महसूस होना आदि। आयुर्वेदिक उपचारः-
1. आयुर्वेद में ग्लूकोमा में पंचक्रम विधि बहुत उपयोगी होती है
2. सप्तामृत लौह को शहद से लेना चाहिये।
3. त्रिफल चूर्ण को शहद के साथ नियमित ले।
4. ग्लूकोमा के मरीजो का नशा, धूम्रपान का त्याग करना चाहिये।
5. अच्छी नीद ले, व तनाव मुक्त रहना चाहिये।
6. भोजन से पुर्व घृत अथव दुग्ध का सेवन करने यसे आराम मिलाता है।
7. श्वेत पुर्ननवा की जड़ को गुलाब में घिस कर आंखो में लगाने से दर्द कम हो जाता है।
8. रात्रि में त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से अवश्य लेना चाहिये।
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